Saturday 4 April 2020

ज़िन्दगी

• लेती है इम्तिहान ज़िन्दगी,
   लगती है बेईमान ज़िन्दगी।
   कदम कदम पर ठिटक ठिटक कर,
   करती अति अभिमान ज़िन्दगी।।
 
• किसी किसी की खास ज़िन्दगी,
   किसी की बहुत उदास ज़िन्दगी।
   घर घर जाकर देखोगे     यदि,
   झेल रही उपहास जिन्दगी।।

• कहीं-कहीं गुमनाम जिंदगी,
  कहीं पै है बिन काम ज़िन्दगी।
  खरी कसौटी पर उतरी हो,
  फिर भी है बदनाम ज़िन्दगी।।

• प्रकृति का उपहार ज़िन्दगी,
   रहे उठाती भार ज़िन्दगी।
   दर दर ठोकर खा करके भी,
   जीवन का है सार ज़िन्दगी।।

•  नदिया जैसी धार ज़िन्दगी,
    जार और बेजार ज़िन्दगी।
    दे दे करके रोज़ इम्तिहां,
    बैठी खाकर मार ज़िन्दगी।।

Thursday 2 April 2020

अमीरी

*बेशक होती नेक अमीरी।
 फिर भी है अतिरेक अमीरी।।

*रखै ठाट अरु बाट अमीरी।
 चाकी जैसे पाट अमीरी।।

*लहै अहे बड़ नाम अमीरी।
  नहीं रोग की वाम अमीरी।।

*कहुं कहुं सुख की खानि अमीरी।
  कहुं कहुं लेती जानि अमीरी।।

*जब जब प्रतिछन बढ़ति अमीरी।
  तब तब नख शिख चढ़ति अमीरी।।

*रुहठि जहे पै घटति अमीरी।
  रोके से ना रुकति अमीरी।।

*अति घमण्ड की जननि अमीरी।
  सहस्र अवगुनी खननि अमीरी।।

*ऐश और आराम अमीरी।
  प्रतिफल देति हराम अमीरी।।

*गफलतियों की शान अमीरी।
 परिणति मिटे निशान अमीरी।।

*क्रियाशील का कर्म अमीरी।
  उसका यह सद् धर्म अमीरी।
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Saturday 28 March 2020

हमने देखे

1. खेत लहलहे गेहूं जौ के,
    नोट पुराने चलते सौ के।
    बछरी बछरा कूदत फांदत,
    नन्द नंदन वो माता गौ के।।
                        हमने *

2.चना मटर औ सरसों दूंआं,
   आग लगे पर निकले धूंआं।
   प्यासे पथिक भटकते फिरते,
   मिलें कहां पानी के कूंआं।।
                       हमने*

3.गाजर मूली मैथी पालक,
    गली गिरारे खेलत बालक।
    सैन मटक्का चोर उचक्के,
    रैन अंधेरी के घर घालक।।
                        हमने*

4.हर किसान के खेतहिं आलू,
   चरखा खूब चलाते भालू।
   स्वांग तमासे के वो जोकर,
   होते थे जो बेहद चालू ।।
                     हमने*

5.खेतऔर खलिहान किसानू,
   बरखा ॠतु के विविध विषानू।
   गौचारन के समय शाम को,
   विचरन करते फिरहिं विहानूं।
                            हमने*

6.भादों ज्वार बाजरा मक्का,
     दाएं बाएं बुढ़रू कक्का ।
     नामे बैल खड़ी गाड़ी में,
     लोग मारते झुककर धक्का।।
                     हमने*

7. शीतकाल की लम्बी रातें,
     बाबा दादी की बहु बातें,
     दुहत दूध काढ़न बारिनु में,
     अनचाहे पड़ती थीं लातें।।
                        हमने*

8. फागुन मास हुरारी होरीं,
    कहूं बहुत कहुं थोरीं थोरीं।
    मांटी धूरि गुबरिया कीचड़,
    गिरत शराबी मोरीं मोरीं ।।
                      हमने*

9. गांव गांव में लगते दंगल,
    गीत मीत मन भाउन मंगल,
    यत्र तत्र सर्वत्र खड़े थे,
    हरे भरे मनचंगी जंगल।।
                       हमने*

Thursday 26 March 2020

कोरोना

१.लाइलाज़ यह रोग भयानक,
   बिगड़ गए सब कथे कथानक।
   गणित गड़बड़ा गया सभी का,
   घुसा देश मेंआइ अचानक ।।

२. भारत सहित विश्व है हतप्रद,
    पार करी कोरोना हर हद ।
    चाक और चौबन्द व्यवस्था,
    तऊ बढ़ रहा है इसका कद।।

३.साहस सहित बचाव करें हम,
   इक दूजे से नहींं डरें    हम।
   मीटर एक बना कर दूरी,
    परा आप संताप हरें हम।।

४. घर में रहें मानि अनुशासन,
    एक अकेला का करि शासन।
    बिना जरूरत के ना घूमें,
     हल्का फुल्का खाओ राशन।।

५.स्वच्छ रहो अरु मस्त रहो सब,
    धीरे-धीरे व्यस्त रहो सब,
    लॉकडाउनी संरचना में ,
     घर अन्दर अभ्यस्त रहो सब।।

६.मास्क पहन सामग्री लाएं,
   साफ सफाई करि पकवाएं।
   वस्त्र धोइ अरु स्नान करो जी,
   तदुपरान्त सब भोजन खाएं।।

७.संयम नियम सभी अपनावें,
    लोक शोक को धरम बनावें।
     मरम भाव से घाव भरेंगे ,
     सरल सनेह सदा बरसावें।।

८.कोरोना का खतरा भारी,
    बिन मारे की मारा मारी।
    अखिल विश्व इसकी चपेट में,
    पारंम्परिक चिकित्सा हारी।।

९.पुनि पुनि आशा आवहु पासा,
    छोड़ि छांड़ि नव अनिछ निराशा।
    अपितु नांहि तो परहि उठाना,
    अति नुकसान अपरिमित खासा।।

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Wednesday 25 March 2020

छेड़-छाड़

जब जब प्रकृति सों
छेड़-छाड़ होवहीं।
      तब तब अपना वो
      मूल भाव खोवहीं।।
गेह गांव प्रदेश देश
छांड़ि कहं कढ़ि जहीं।
      परदूषन पर-दूखन
      भार प्रसार बढ़िअहीं।।
वन वृक्ष काटि कैं
कष्ट भ्रष्ट प्रदत्तहीं।
      सोच पोच लोच ना
       अग्रमे प्रमत्तहीं ।।
नद्य नीर क्षीर सम
विषम भाव राखहीं।
        नेति नेमि नष्ट भुवि
        नीरसास भाखहीं।।
अपथ सत पगपथी
असत मत फलित ज्वै।
       कर्मशील शीतलै
      अकर्मशील ज्वलित ह्वै।।
जहं चहै उहं नहींं
मोदिनी धारना ।
       श्रमपुंजनूं करहु
       मनामंजु वारना।।

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Thursday 20 September 2018

जीवन में इक बार

(1) लुटतेआए सब इहाँ, जीवन में इक बार |
      जो जग माँही नां लुटा, जानि न पाया सार ||

(2) कछु ऐसे कहि देत जो,कछु नहिं करें बखान |
      प्रथमहिं दुखिया दीन के, दूजहिं देव समान ||

(3) पतित पावनी लालसा, फँसिअ पहर के बीच |
      पिसि पिसि जैहैं अस्थियाँ,हों चहुँ सरिस दधीच ||

(4) प्राननु प्रिय जुहि जीविका,जुआ खेलतहिं जाइ |
     समझौता करनों परै, पग-पग धोख्यौ खाइ ||

(5) पारंगत पर प्रीति में, कथित पवित करि खेल |
      कूटरचित फन्दा कसें, अस्थाई जुरि मेल ||

(6) उर टूटहि मन दुखित भुँइं, खुँइं खुँइं जैहै नेह |
      पुनि पुनि जिअरा खोजिअहि, सगुन शकुन कौ गेह||

(7) बिन बतियाँ बीतहिं दिवस, रतियाँ रति जग माहिं |
      तिल तिल पजरहि जिअरवा, मनवा माँगहि छाँहि ||

(8) भों-भों भँवरा भ्रमर करि, करि पूरौ निज काल |
      बिन जुगलहिं ह्वै सब अहैं, हाल इहाँ बेहाल ||

(9) वाकी बाँकी नजरिया, बाकी बच्यौ न भाव |
      लगता है अब पलटिअहु, बीच भँवर महिं नाव ||

(10) हारें हरि सुमिरन करहिं, मुइ मुइ जैहै मोह |
       झेलन सों वो ना झिलहि, उँह उहि छोह विछोह ||

(11) बैठि जांइ मनु मारि कँह, बस परबस सब जानि |
       थिर करि यापन निमितियाँ, जीवन ह्वै रस खानि||

Sunday 9 September 2018

अपना तेरी

(1) अपना तेरी में लगे, धीरु भीरु गम्भीर |
      लक्ष्य छाँड़ि इनके लगें सब तरकस के तीर ||

(2) चश्मा रखिहैं दूसरा, पर दरसन के हेत |
      अपनों दीखहि शुभ शुभी, दूजहिंआड़े लेत ||

(3) निन्दा प्रिय पर सख्स की, आपनु प्रेम अगाधि|
      लाखअवगुनी हों चहूँ, तऊ दिखहि बिन ब्याधि ||

(4) अपना अपना नजरिया, अपना अपना राग |
      अपनों नीकौ ही लगहि, चहुँ उगलहि उहि आग ||

(5) कुत्सित सोचहि के धनी, अस धारा के भीरु |
      कैसे कोउ उनसों कहहि, धीरु भीरु गम्भीर ||

(6) पावन सुचिता धारिकहिं, चहुँ अरि हुइ पुरजोर |
      कबहु न छाँड़्यो साथ कूँ, सुमिरहु नित उठि भोर ||

(7) पूँछ न खींचहु नेक की, अपनों स्वारथ देख |
     असल नकल सब ह्वै दिखहि, इतिहासनु के लेख ||

Saturday 1 September 2018

श्री कृष्ण जन्माष्टमी

(1) श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, पावन परम पुनीत |
      माधव सम दूजा नहीं, दीन हीन को मीत ||

(2) वासुदेव औ देवकी, जिनके पितु अरु मात |
      अर्ध रात्रि को जन्म लहि, तारे टूटहिं पात ||

(3) होगी जब सब के लिए, बड़ी खुशी की बात |
      घर घर आकर जन्म लहिं, कान्हा आधी रात ||

(4) नँद नन्दन नँद लाल की, तिरछी नजरि सुजान |
     मात यशोदा ने रखा, उनका प्रति छन ध्यान ||

(5) लालन पालन सब हुआ, नन्द बबा के गेह |
      गोकुल गाय चराइ कें, ग्वाल बाल सों नेह||

(6) शिरोमणी यदुवंश के, जगन्नाथ महाराज |
      सदा आपने है रखी, निज भक्तनु की लाज ||

(7) औसर पावन पर्व पर, लेहु बधाई आप |
      कुँवर कन्हाई की क्रपा, दूरि करहि सन्ताप ||

Wednesday 15 August 2018

" बेशक हुए स्वतन्त्र "

बेशक हुए स्वतन्त्र आज हम ,पर बिन पर के पंखी हैं|
अनचाही मिल गईं नीतियाँ, अगणित ढपोरशंखी हैं ||

निर्धन का बेड़ा गर्क दिखै, धनवान और धनवान हुए|
पहलू जो छूने चहिए थे,वोअब तक क्यों नहिं गए छुए||

बिपरीत दिशा की बातें कुछ, दिनरात परोसी जाइ रहीं |
आकाश मध्य बिन नीर लिए, बदलीं -बदली सी छाइ रहीं ||

चहुँ आजादी की वर्षगाँठ, चहुँ उत्सव कोई कैसा भी |
ये तभी लगें सबको अच्छे, जब गुजर जोग हो पैसा भी ||

भावना कामना अच्छी हों, तो हाथ सफलता आएगी |
तब भोली भाली जनता भी, बाबख्त रोटियाँ पाएगी ||

Tuesday 7 August 2018

भ्रूण हत्या ?

नारी,
शक्ति है हमारी |
ऐ विमूढ़!
क्यों नष्ट करवा रहा है भ्रूण?
महा क्षोभ,
अपनी जिंदगी का तो है तुझे लोभ |
आदमी,
यदि ऐसा ही करेगा |
तो,
हर दूसरा आदमी हथेली पर चून धरेगा ||
ऊह -आह,
बता तेरे लड़कों के कहाँ से होंगे ब्याह |
उठ और जाग,
अपनी जिम्मेदारी न भाग!
आने दे लड़की,
तेरी दूर हो जाइगी कड़की!
तू ,
करवा के अल्ट्रासाउंड |
आने वाले को  भी,
लगाने दे इस दुनियां में राउंड ||
चोरा चोरी ,
गर्भ गिरवाता है |
शक्ति पुंज को मरवाता है ||
इससे पैदा होगा त्राण,
बक्स दे उसके प्राण |

Saturday 4 August 2018

बड़ा ही महत्व है

• कद और कांठी का |
   अच्छी परिपाठी का ||
     लड़ाई में लाठी का |||
       बड़ा ही ............(1)
• नींद में खटिया का |
   झोंपड़ी में टटिया का ||
     स्टेशन हटिया का  |||
        बड़ा ही ...........(2)
• कंगाली में आटे का |
   व्यापार में घाटे का ||
     जूड़ो कराटे का  |||
         बड़ा ही .........(3)
• नदियों में गंगा का |
   करोड़पति भिखमंगा का ||
     सियासत में दंगा का |||
       बड़ा ही ............(4)
• अच्छे नतीजे का |
   न्याय में सी.जे.का ||
     शादी में डी.जे.का |||
       बड़ा ही ............(5)
• लोरी कहानी का |
   ननिहाल में नानी का ||
     जीवन में पानी का  |||
     बड़ा ही ..............(6)
• जंगल में शेर का |
    भूख में बेर का ||
        हेर अरु फेर का |||
          बड़ा ही .........(7)
• सुबह शाम चाय का |
   गरीब की हाय  का ||
     पन्ना सी  धाय का |||
       बड़ा ही ............(8)
• सुनहरे प्रात का |
    दिन और रात का ||
      भैया के  भात का |||
        बड़ा ही ...........(9)

Saturday 28 July 2018

डर बहुत लगता है

•झूठ के बजार से |
   बजारू अचार से ||
     घूमते गँवार से  |||
        डर बहुत लगता है(1)
•बाबरे  कुत्ता से |
    और कुकुरमुत्ता से ||
      बैगन के भुर्ता  से |||
         डर....................(2)
•अन्धेरी रात से |
      अटपटी बात से ||
         भैया के बाँट से |||
            डर.................(3)
•अजनवी लहू से |
      कटकनी महू से ||
         खटकनी बहू से |||
            डर.................(4)
•रिश्वत की थैली से |
     चूँदरिया मैली से ||
       बड़ी बड़ी रैली से |||
          डर ..................(5)
•हाकिम अरु हुक्का से |
      रहन अरु रूक्का से ||
        मैडम के मुक्का से |||
           डर..................(6)
•बड़े बड़े नाम से |
     और खोटे काम से ||
       सड़क पर जाम से |||
        डर ....................(7)
•पहिया के पंचर से |
     बिल्कुल निरक्षर से ||
       डैंगू के मच्छर से ||
        डर.....................(8)
•हाथी की सूँड़ से |
      और ज्ञान गूढ़ से ||
        आदमी विमूढ़ से |||
          डर..................(9)
•नकली मिलावट से |
      चुनावी अदावट से ||
        बफर की दावत से|||
          डर.................(10)
•कपड़ा कटपीस से |
    बिगड़े रहीस सेे  ||
      बच्चों की फीस से |||
        डर..................(11)
•पैसेंजर रेल से |
    लेटलतीफ मेल से ||
      जानलेवा खेल से |||
        डर..................(12)
•बनावटी प्रीति से |
    बारू की भीति से ||
      ओछी राजनीति से |||
         डर.................(13)
•बुद्धी को मन्द से |
    आफत को फन्द से ||
      भाभी को नंद  से |||
        डर..................(14)
•मोल की मेंहदी से |
   लोटा बिन पैंदी से ||
     लंका के भेदी से |||
       डर ..................(15)
•किसी भी चुनाव से |
    और मनमुटाव से ||
      सड़क के घुमाव से |||
      डर....................(16)
•हँसी और ठट्टा से |
     गुस्सैल पट्ठा से ||
      बिजली के लट्ठा से |||
        डर बहुत लगता है |

Friday 27 July 2018

" झमझम वर्षा "

वर्षा झमझम हो रही,
मौसम भी परवान |
हवा निराली चल रही,
पंछी गाउत गान ||1||
दिन में अँधियारी झुकी,
बिल्कुल रात समान |
लुका छिपी बदरा करें,
सूरज अंतर ध्यान ||2||
सांय काल में लग रहा,
कबहुं न बरसो नीर |
धूप खिली राहत मिली,
 बदलो रुखहिं समीर ||3||

गुरु महिमा

मात पिता से बढ़कर कोई,
दूजा गुरू नहीं जग में |
इनकी सेवा सुफल दायिनी,
ध्यान रखें जीवन-मग में ||

Friday 20 July 2018

गोपालदास नीरज (श्रद्धांजलि)

महाकवी गोपालदास के,
दुखद निधन पर दुखी सभी |
स्वर्ग लोक वासी होकर भी,
नहिं भूलेंगे लोग कभी ||
कमी खलेगी युगों -युगों तक,
नीरज की कविताओं की |
सद्विचार व्यवहार पुरोधी,
गीत -माल पविताओं की ||